बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर
प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
अथवा
मनोवैज्ञानिक परीक्षण के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिये।
अथवा
परीक्षण निर्माण के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. परीक्षण निर्माण पर टिप्पणी लिखिये।
2. परीक्षण निर्माण के प्रमुख चरण बताइये।
3. परीक्षण निर्माण के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिये।
4. परीक्षण निर्माण की विशेषताओं पर टिप्पणी लिखिये।
5. परीक्षण निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर -
(Steps of Test Construction)
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की रचना मनोविज्ञान और शिक्षा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी की जाती है। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की रचना अपने उद्देश्यों के अनुरूप कुछ सामान्य सिद्धान्तों को ध्यान में रखकर की जाती है। ये परीक्षण मानकीकृत या अमानकीकृत दोनों हो सकते हैं। आधुनिक युग में परीक्षणों का निर्माण अत्यन्त तीव्र गति से हो रहा है। मनोविज्ञान तथा शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किये जाने वाले परीक्षणों की रचना के दौरान अनुसंधानकर्ता निम्नलिखित चरणों से होकर गुजरता है -
1. परीक्षण की रचना का प्रारम्भिक विचार (Preliminary Consideration of Test Construction) - परीक्षण की रचना के पूर्व परीक्षण निर्माणकर्ता कुछ बिन्दुओं पर विचार करता है जैसे अध्यापक निर्मित परीक्षण की तुलना में मानकीकृत (Standardized) परीक्षण से क्या लाभ है, परीक्षण का स्वरूप क्या होना चाहिये, व्यक्तिगत परीक्षण या सामूहिक परीक्षण में कितना व्यय होगा आदि। इन प्रश्नों का विचार कर लेने पर परीक्षण रचना में आसानी होती है।
2. परीक्षण निर्माण की योजना बनाना (Planning of the Test Construction) - परीक्षण निर्माण के प्रारम्भिक विचार के पश्चात् सबसे पहले किसी भी परीक्षण के निर्माण के लिये एक योजना बनाई जाती है। जिस प्रकार से कोई व्यक्ति किसी बड़े या जटिल कार्य को क्रियान्वित करने के लिए पहले योजना बनाता है फिर उसे क्रियान्वित करता है, ठीक उसी प्रकार परीक्षण की रचना के पूर्व परीक्षण निर्माणकर्ता के लिये भी एक सुनिश्चित योजना बनाना आवश्यक है। परीक्षण निर्माण की योजना के अन्तर्गत सर्वप्रथम यह निर्धारित किया जाता है कि परीक्षण के उद्देश्य क्या हैं, परीक्षण का स्वरूप क्या होगा, परीक्षण किस भाषा में बनाया जायेगा, परीक्षण किन लोगों लिए बनाया जायेगा और परीक्षण प्रशासन के लिए किन जनसंख्या से क्या और कैसे प्रतिदर्श लिया जायेगा। इन सबके साथ-साथ उसे परीक्षण की विषय-वस्तु भी निर्धारित करनी होती है। इसके लिए एक परीक्षण निर्माणकर्ता निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार करता है
(i) परीक्षण की योजना बनाते समय परीक्षण निर्माणकर्ता परीक्षण के उद्देश्यों का स्पष्ट रूप से निर्धारित करके उसे संक्षिप्त रूप में लिख लेता है।
(ii) परीक्षण के उद्देश्यों के अनुरूप परीक्षण निर्माणकर्ता परीक्षण की विषय-वस्तु का निर्धारण करता है।
(iii) परीक्षण का उद्देश्य निर्धारित कर लेने के पश्चात् वह परीक्षण के स्वरूप आदि का निर्धारण करता है। इसके अन्तर्गत वह यह निर्धारित करता है कि परीक्षण व्यक्तिगत होगा या सामूहिक, शाब्दिक होगा या अशाब्दिक आदि।
3. परीक्षण का प्रारम्भिक रूप तैयार करना (Preparing the Preliminary Draft) - जब एक परीक्षण की एक निश्चित एवं व्यवस्थित योजना बन जाती है तो परीक्षण निर्माणकर्ता अपनी बनाई हुई योजना को क्रियान्वित करता है। परीक्षण का प्रारम्भिक रूप तैयार करने के सम्बन्ध में परीक्षण निर्माणकर्ता निम्नलिखित बिन्दुओं पर कार्य करता है -
(i) परीक्षण के पद ( Items of the Test) - इस बिन्दु पर परीक्षण की योजना के अर्न्तगत निर्धारित की गयी कार्य-योजना के अनुरूप परीक्षण निर्माणकर्ता योजना को कार्यरूप में परिणित करता है। इसके अर्न्तगत निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाता है-
(क) परीक्षण के पद या प्रश्नों के प्रकार (Types of Item) - परीक्षण में प्रश्नों की संख्या तथा प्रकार का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि जिस प्रत्यय का मापन किया जा रहा है उस प्रत्यय (Concept) के कितने क्षेत्र या कितने अवयव (Components) हैं तथा उन अवयवों की प्रकृति क्या है।
(ख) विशिष्टीकरण तालिका (Specification Table) - परीक्षण में प्रश्नों की संख्या एवं प्रकार का निर्धारण करने के पश्चात् विशिष्ट तालिका बनाकर यह निर्धारित किया जाता है कि अलग अलग प्रकार के प्रश्नों की संख्या कितनी और कितने प्रतिशत होगी। इसके आधार पर प्रत्यय के विभिन्न अवयवों के प्रश्नों की संख्या निर्धारित की जाती है।
(ग) पदों की रचना एवं सावधानियाँ ( Preparing the Items and Precautions) - विशिष्टीकरण तालिका बनाने के बाद तदनुसार परीक्षण के लिए पदों की रचना की जाती है। इसके लिए यह ध्यान रखा जाता है कि परीक्षण के पदों की संख्या विशिष्ट तालिका से कम से कम डेढ़ गुनी अवश्य हो तथा प्रश्नों की भाषा सरल व स्पष्ट हो तथा एक प्रकार के प्रश्न एक साथ रखे जायें।
(घ) पदों का व्यवस्थापन ( Arrangement of Items) - पदों की रचना हो जाने के पश्चात् प्रश्नों का सम्पादन करके एक विशेष व्यवस्था के अनुसार लिखा जाता है। यदि परीक्षण के कठिनाई स्तर में कोई समस्या होती है तो प्रश्नों को सरलतम से कठिनतम के क्रम में रखा जाता है।
(ii) परीक्षण प्रशासन एवं निर्देश (Test Administration and Instructions) - परीक्षण के पदों को क्रमबद्ध कर लेने के पश्चात् यह निर्धारित किया जाता है कि परीक्षण का प्रशासन किस प्रकार किया जायेगा तथा प्रयोज्यों को किस प्रकार और क्या निर्देश दिये जायेंगे। यह भी निर्धारित किया जाता है कि परीक्षण के दौरान क्या-क्या सावधानियाँ रखी जायेंगी।
(iii) परीक्षण का फलांकन (Scoring of the Test) - परीक्षण के प्रशासन एवं निर्देश के पश्चात् यह निर्धारित किया जाता है कि परीक्षण का फलांकन किस प्रकार किया जायेगा, किस प्रकार के प्रश्नों के उत्तरों को किस प्रकार अंक दिये जायेंगे आदि। इसके लिए प्रायः सभी प्रकार के प्रश्नों के लिए अंक प्रदान की विधि एक ही रखी जाती है।
(4) परीक्षण के प्रारम्भिक रूप की जाँच (Pilot Study of the Test) - परीक्षण के प्रारम्भिक प्रारूप की जाँच में मुख्यतः तीन चीजों की जाँच की जाती है- (i) परीक्षण के पदों की जाँच, (ii) परीक्षण के प्रशासन की जाँच, तथा (iii) परीक्षण के फलांकन की जाँच इसमें सबसे महत्वपूर्ण जाँच परीक्षण के पदों की जाँच है। इसके लिए परीक्षण के प्रत्येक पदों की सांख्यिकीय जाँच की जाती है। यह जाँच पद विश्लेषण (Item Analysis) के द्वारा कठिनाई के स्तर एवं विभेदन क्षमता के रूप में की जाती है। पद विश्लेषण के पश्चात् यदि आवश्यक होता है तो प्रश्नों में आवश्यकतानुसार सुधार भी इसी स्तर पर कर लिया जाता है।
(5) परीक्षण का अन्तिम प्रारूप (Preparing the Final Draft of the Test) - परीक्षण के प्रारम्भिक रूप की जाँच के पश्चात् परीक्षण के पदों का अन्तिम रूप से चयन करने तथा प्रशासन एवं निर्देशों को अन्तिम रूप देकर परीक्षण का अन्तिम प्रारूप तैयार कर लिया जाता है।
(6) परीक्षण का मूल्यांकन (Evaluation of the Test) - परीक्षण को अन्तिम रूप देने के पश्चात् परीक्षण की विश्वसनीयता (Reliability) तथा वैधता (Validity) को ज्ञात करके परीक्षण का मूल्यांकन किया जाता है। यदि परीक्षण के मूल्यांकन में विश्वसनीयता तथा वैधता में कोई कमी पायी जाती है तो उसे आवश्यकतानुसार सुधार लिया जाता है।
(7) परीक्षण का मानकीकरण (Standardization of the Test) - परीक्षण की विश्वसनीयता एवं वैधता के आधार पर उसका मूल्यांकन करने के पश्चात् उसका मानकीकरण किया जाता है। मानकीकरण को परिभाषित करते हुए क्रॉनबैक (1984) ने कहा है कि- "किसी मानकीकृत परीक्षण में प्रक्रिया, फलांकन मूल्यांकन सभी निश्चित होता है जिससे इसका प्रयोग विभिन्न अवसरों पर किया जा सके। इसमें मानकों (Norms) की सारणी तथा किसी समूह के प्रतिनिधित्वकारी विद्यार्थियों का सम्भावित फलांकन ज्ञात रहता है।'
|
- प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
- प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
- प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
- प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
- प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
- प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
- प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
- प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
- प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
- प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
- प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
- प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
- प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
- प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
- प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
- प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
- प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला